2047 का विकसित भारत: जन भागीदारी के साथ जन आंदोलन से शहरी निकायों को बदलने का लिया संकल्प
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2047 का विकसित भारत: जन भागीदारी के साथ जन आंदोलन से शहरी निकायों को बदलने का लिया संकल्प

Developed India of 2047

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लोकतंत्र के आधारभूत स्तंभों के रूप में शहरी संस्थाओं के योगदान पर हुई चर्चा
दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में बेस्ट प्रैक्टिस की चर्चाओं को लेकर देशभर की निकायों में लागू करने पर बनी सहमति

चंडीगढ़, 4 जुलाई: Developed India of 2047: गुरुग्राम जिला के मानेसर में चल रही शहरी स्थानीय निकायों के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम दिन देश भर के विकास में अग्रणी शहरी स्थानीय निकायों द्वारा प्रस्तुत किए गए विकास के मॉडल पर चर्चा की गई। पांच सत्रों में आयोजित इस चर्चा में 2047 में विकसित भारत के योगदान में शहरी निकायों की भूमिका बढ़ाने और उनके योगदान को लेकर संकल्प लिया गया। राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश, हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा, सेक्रेटरी जनरल राज्यसभा श्री पी.सी. मोदी सहित अन्य गणमान्य लोगों की गरिमामयी उपस्थिति में सत्र संपन्न हुआ।

सत्र में लोकतंत्र के आधारभूत स्तंभ के रूप में शहरी संस्थाओं के योगदान पर विस्तार से अनुभव सांझा किए गए। नागपुर नगर निगम प्रतिनिधियों ने कहा कि समावेशी वृद्धि और विकास के इंजन के रूप में शहरी स्थानीय निकायों के संवैधानिक अधिकारों पर केंद्रित होकर निकाय कार्य कर रहे हैं। चर्चा के दौरान सामने आया कि शहरी स्थानीय निकायों का उद्देश्य शहरी सेवा वितरण की संरचना में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। 74वें संविधान संशोधन पर विचार रखते हुए इस विषय पर प्रकाश डाला गया कि यह शहरी सेवाओं के कुशल वितरण के लिए संस्थागत ढांचा निर्धारित करता है। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि नगर पालिकाएं कमजोर वर्गों और महिलाओं की समस्याओं के प्रति पर्याप्त संवेदनशील हों। नगर पालिका-परिषदों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए आरक्षण प्रदान किया जा रहा है।

इसके साथ ही पश्चिम बंगाल की नगर निकाय की प्रतिनिधि ने बताया कि शहरी स्थानीय निकाय भारत के शहरी विकास की आधारशिला है। उन्होंने अपने शहर में विकास का मॉडल प्रस्तुत करते हुए कहा कि सुधारों व नवाचार, नागरिक सहभागिता और प्रौद्योगिकी के माध्यम से वित्तीय संस्थागत और क्षमता संबंधी चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और सहयोगात्मक शासन के साथ शहरी स्थानीय निकाय अपने संवैधानिक जनादेश को पूरा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि शहर सभी नागरिकों के लिए समान लचीले व जीवंत स्वरूप विकास का मॉडल बनकर सामने आए।

सेमिनार में शहरी स्थानीय निकायों में विकास का इंजन बनने में महिलाओं की सशक्त भूमिका पर भी चर्चा की गई। इस दौरान बताया गया कि मध्य प्रदेश में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण किया गया है। इसके बावजूद वहां 60 से 65 प्रतिशत तक महिलाएं शहरी स्थानीय निकायों के प्रतिनिधित्व कर रही हैं जबकि हरियाणा में भी महिलाएं शहरी स्थानीय निकायों से जुड़कर विकास के मॉडल प्रस्तुत कर रही हैं। इसके साथ ही शहरी स्थानीय निकाय आम लोगों की भागीदारी के साथ विकास कार्यों को जोड़कर जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ सकते हैं इस विषय पर भी गंभीरता से चर्चा की गई।